Jindagi ehsaason ka pulinda hi to hai, kabhi fursat me kabhi jaldi me bandh leti hun apne dupatte ke chor mein ek lamha aur ek ehsaas fir se kavita ban jaata hai. Rishton ko parat dar parat mein jeeti hun main. Jindagi yun hi nahin guzar jaati, meri saanson mein utar kar dhadkanon ko ek geet dena hota hai use.
Wednesday, June 18, 2008
Tuesday, June 17, 2008
बारिशों की एक शाम...
एक भीगी उदास सी शाम है आज की
थकी हुयी भी लगती है, उनींदी सी है
और तुम भाग रहे होगे
शायद किसी डेडलाईन के पीछे
कब सुधरोगे आलसीराम?
चाय के भरोसे रात गुजारना छोड़ो
तभी तो ऐसा मौसम नहीं देखते हो
मुझे तो खैर क्या खाक याद करोगे
मैं भी रोज़ रोज़ नहीं याद करती हूँ तुम्हें
बस कभी कभी, जब बारिश होती है...तब
वो भी इसलिए
कि अब बारिशें उदास कर देती हैं
और याद आता है कि तुम कहते थे
"रोती हुयी बहुत सुंदर लगती हो"
origin of a name
18th sept, 2005
"You know what? Today i was at PSR with a girl who smelt of cloves&cinnamon, whose eyebrows were like black wisps of the night and whose hair was the night itself. Her laughter had hte timbre of ankle bells. The moon was luxuriating in the reflected glory of her visage. It was such a privilege."
and here is the origin of clovesncinnamon, a question people still ask me sometimes ki "यार इन मसालों का क्या चक्कर है? लौंग और दालचीनी ये भी भला कोई नाम हुआ!"
अरसा बीत गया, पर इस नाम की खुशबू अभी भी आती है, और शायद ताउम्र आती रहेगी...क्योंकि ये मेरी खुशबू है, हाँ इस खूबसूरत नाम के लिए शुक्रिया...श्री
"You know what? Today i was at PSR with a girl who smelt of cloves&cinnamon, whose eyebrows were like black wisps of the night and whose hair was the night itself. Her laughter had hte timbre of ankle bells. The moon was luxuriating in the reflected glory of her visage. It was such a privilege."
and here is the origin of clovesncinnamon, a question people still ask me sometimes ki "यार इन मसालों का क्या चक्कर है? लौंग और दालचीनी ये भी भला कोई नाम हुआ!"
अरसा बीत गया, पर इस नाम की खुशबू अभी भी आती है, और शायद ताउम्र आती रहेगी...क्योंकि ये मेरी खुशबू है, हाँ इस खूबसूरत नाम के लिए शुक्रिया...श्री
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