Wednesday, June 18, 2008

यूँ ही




तुम्हारी याद एक ज़ख्म है
जिसे कुरेद कर
मैं अपनेआप को यकीन दिलाती हूँ

कि जिन्दा हूँ मैं अभी...

Tuesday, June 17, 2008

बारिशों की एक शाम...


एक भीगी उदास सी शाम है आज की
थकी हुयी भी लगती है, उनींदी सी है

और तुम भाग रहे होगे
शायद किसी डेडलाईन के पीछे

कब सुधरोगे आलसीराम?
चाय के भरोसे रात गुजारना छोड़ो

तभी तो ऐसा मौसम नहीं देखते हो
मुझे तो खैर क्या खाक याद करोगे

मैं भी रोज़ रोज़ नहीं याद करती हूँ तुम्हें
बस कभी कभी, जब बारिश होती है...तब

वो भी इसलिए
कि अब बारिशें उदास कर देती हैं

और याद आता है कि तुम कहते थे
"रोती हुयी बहुत सुंदर लगती हो"

origin of a name

18th sept, 2005

"You know what? Today i was at PSR with a girl who smelt of cloves&cinnamon, whose eyebrows were like black wisps of the night and whose hair was the night itself. Her laughter had hte timbre of ankle bells. The moon was luxuriating in the reflected glory of her visage. It was such a privilege."


and here is the origin of clovesncinnamon, a question people still ask me sometimes ki "यार इन मसालों का क्या चक्कर है? लौंग और दालचीनी ये भी भला कोई नाम हुआ!"

अरसा बीत गया, पर इस नाम की खुशबू अभी भी आती है, और शायद ताउम्र आती रहेगी...क्योंकि ये मेरी खुशबू है, हाँ इस खूबसूरत नाम के लिए शुक्रिया...श्री