18th sept, 2005
"You know what? Today i was at PSR with a girl who smelt of cloves&cinnamon, whose eyebrows were like black wisps of the night and whose hair was the night itself. Her laughter had hte timbre of ankle bells. The moon was luxuriating in the reflected glory of her visage. It was such a privilege."
and here is the origin of clovesncinnamon, a question people still ask me sometimes ki "यार इन मसालों का क्या चक्कर है? लौंग और दालचीनी ये भी भला कोई नाम हुआ!"
अरसा बीत गया, पर इस नाम की खुशबू अभी भी आती है, और शायद ताउम्र आती रहेगी...क्योंकि ये मेरी खुशबू है, हाँ इस खूबसूरत नाम के लिए शुक्रिया...श्री
3 comments:
vah.. aapse to bas ek utsukta ki vajah se poochh baitha tha is e-mail ID ki vajah.. ye vajah to bahut hi khoobasoorat nikla..
badhaayi.. :)
पता है क्या...मुझे तो श्रीजय से मिलने उसे जानने की उत्सुकता बढ़ गयी
"अरसा बीत गया, पर इस नाम की खुशबू अभी भी आती है, और शायद ताउम्र आती रहेगी..."
सच में कुछ लम्हे,कुछ पल कैसे होते हैं ना कि जब आपको ये अहसास होता है कि आप जी रहे हैं..उस मेल का,उस कथित लंबे मेल का,मुझे राज बुलाने का और मुझे "बोर नहीं करने का" शुक्रिया....
Oh! that is great...
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