Tuesday, August 12, 2008

लौटा सकोगे क्या?

लौटा दो न

वही अधूरी सी कहानी

वो राहें जिनपर जा न सके

वो सावन जिसमें भीगे नहीं

वो चाय जो प्याली में बची रह गई

वो सितारे जो मिल के गिन नहीं सके...

ये गीत मुझे बहुत पसंद है, और जाने कब से...अधूरेपन को जिस तरह से लफ्जों में बांधा गया है कि लगता है अहसासों को बयां करने की हद यही है...



6 comments:

वेद प्रकाश सिंह said...

excellent......

वेद प्रकाश सिंह said...

aapka shabdo se khelne ka ye tarika mujhe bahut pasand aaya.....

डॉ .अनुराग said...

मेरे दिल के करीब

Vinay said...

बहुत ही सुन्दर गीत है, आपकी पसंद तो लाजवाब है!

Anil Pusadkar said...

kyaa baaaaaaaaaaaaat hai.bahut khoob

Udan Tashtari said...

बहुत ही सुन्दर.जितनी बार सुनो, कम है.