Jindagi ehsaason ka pulinda hi to hai, kabhi fursat me kabhi jaldi me bandh leti hun apne dupatte ke chor mein ek lamha aur ek ehsaas fir se kavita ban jaata hai. Rishton ko parat dar parat mein jeeti hun main. Jindagi yun hi nahin guzar jaati, meri saanson mein utar kar dhadkanon ko ek geet dena hota hai use.
Monday, October 05, 2009
हाथ की लकीरें
उसके हाथों की लकीरें
बिल्कुल मेरे हाथ की लकीरों जैसी थी...
जैसे खुदा ने हूबहू एक सी किस्मतें दी हों हमें
पर मेरी किस्मत में उसका हाथ नहीं था
न उसकी किस्मत में मेरा
कहीं लकीरों के हेर फेर में खुदा ने गलती कर दी थी
इसलिए उसके हाथ में मेरे नाम की लकीर नहीं थी
न मेरे हाथ में उसके नाम की
इसलिए एक होते हुए भी
हमारा इश्क जुदा था...हमारे इश्क को जुदा होना था
मगर जिंदगी के एक मोड़ पर
इन्तेजार करता मेरा हमसफ़र मुझे मिल गया
क्या मैं उम्मीद करूँ की उसे भी उसका हमसफ़र मिलेगा?
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
34 comments:
उम्दा रचना, पहली बार आपको ब्लोगावाणी पर देखा। ये बात तो साफ है कि आपने ये कविता लिखी है दिल से। किस्मत होती ही ऐसी है। उम्मीद पर ही दूनियाँ कायम है।
हाँ शायद लकीरों को बनाने वाले ने उसके लिए भी कोई मोड़ बना रखा हो
भरोसा रखो, यकीनन...
ummeed to honi hi chahiye..bina ummeed ke jindagi kaisi.
भावपूर्ण कविता आपने दिल से लिखी है... बधाई.
एहसास बहुत गहरे हो तो लकीरे खुद ब खुद बन जाती है.
बहुत अच्छी रचना
there is someone for everyone,mil jaaye yahi dua,bhawnao ki sunder lekir khichi hai.
वाह..उसकी लकीर तो अच्छी है ही की अभी तक उसके भले का ख्याल है.. मुहब्बत कितनी हसीन चीज़ होती है...
एक दम कहानी नुमा पद्य में अभिव्यक्ति
अच्छा लगा..
"क्या मैं उम्मीद करूँ की उसे भी उसका हमसफ़र मिलेगा? "
हमें आशावादी रहना ही चाहिए, और साथ ही सकारात्मक सोच के होने से निराशा का भाव प्रभावी नहीं हो पता .
- विजय
बहुत उम्दा भावपूर्ण रचना.
ये हाथ की लकीरें हीं हैं जो उपर वाले के होने का अहसास कराती हैं
सुंदर अभिव्यक्ति
मेरा ब्लॉग भी देखें
rachanaravindra.blogspot.com
हाँ ,लकीरे ही नसीब होने का एहसास कराती है .......
shi kha aapne ye lakire milane me kabhi-kabhi uper vala bhi mistake ker deta hoga..........bahut si yaade taja ker gyi aapki rachna .....bus aage kuch or na khe payungi!!!!!!!!!!!!!
इतनी कम पंक्तियों मे उस ’खास‘ फ़ीलिंग को कितने एन्गल्स से फ़्लैश किया है आपने..बहुत खूब..
हाँ मगर ताजिंदगी सारी लकीरें एक सी नही रहती हैं..लकीरें भी अपना मुकद्दर ले कर पैदा होती हैं..और टूटती-बिखरती रहती हैं..अपने एक्स्पीरिएन्स से बता रहा हूँ.
अलग कुछ सोचना अपने में एक अलग बात है ...और कुछ आप ऐसा कर रहीं है
simply beautiful!
Simply best... par hath ki lakiron mein kucch nahi hota... kismat hum khud banate hai...
waise simple words mein best rachna...
wow ..beautiful one !!!
bahut khoobsurat andaaz hai aapka likhne ka .....hum to aapke kahir kwaah ho gaye .....sabhi ghazlein ek se badhkar ek hai .......bahut umdaa
bahut sunder bhaav ...
मन की बात
शब्दों का विश्वास
किस्मत का साथ
...
बहुत अच्छी रचना
intezaar, ummeed se hi jahaan hai..warna kuch nahi
पता है,
आप हर दफ़ा मुझे कनफ़्यूजनात्मक स्थिति में पहूँचा देती हैं |
और
मुझे इस स्थिति में साँस लेना अच्छा लगता है |
मतलब,
कविता बहुत अच्छी लगी, पढ़ कर बहुत सुकून हासिल हुआ |
इसके लिए बहुत-बहुत शुक्रिया !
आपका माँ पर लिखा हुआ लेख भावविभोर कर गया। लेकिन आपने वहाँ पर टिप्पणी करने से रोक क्यों लगा दी है।
बहुत खूबसूरत रचना..
आपकी यह और कौतूहलवश पिछली कई पोस्ट पढ़ गया | जिस प्रकार आपने अपने आप को व्यक्त किया है, मैं आपके बारे में केवल दो बातें कह सकता हूँ | ईमानदारी और हिम्मत | यह बनाये रखिये | यह संवेदना के स्वर नहीं हैं, अपितु सम्मान के हैं |
bahut khoobsurat nazm kahi hai puja..
ultimate.. bahut acchi lagi..
Kya likun!!!!!! samajh men nahin aa raha hai. Baar-Baar padhne ko man kar raha hai......................
पहली तीन पंक्तियां उबरने नहीं देतीं और उसके बाद आगे का बयां फीका-सा लगता है.
brilliant creation, a satire on god's way of planning our desitny and then playing with us through out the life...
pooja ji
aapke blog par pahli baar ana hua..ek se badhkar ek rachnayen hain sabhi..dil ko chu lene wala lekhan hai aapka..seedhe aur meethe shabdon men baat dil me utar jaati hai..badhai sweekar karen..
bahut shandar rachna... mujhe mera hamsafar..kya use uska..kash aisa hota ki dono kahte mujhe mera hamsafar mil gaya
bahut shandar rachna... mujhe mera hamsafar..kya use uska..kash aisa hota ki dono kahte mujhe mera hamsafar mil gaya
पूजा जी,
आपकी इस रचना "हाथ की लकीरें" को सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉग स्पोट डाट काम के "काव्य मंच" पेज स्थान दिया जा रहा है |
Haan bs kuch esa hua ..hamare sthe , par kahate hai nah ki haatho ki lakir se jaida dua Mai aasar hai .. bs usse hua Mai lgi hu ..ki mera secret dairy mujhe wapas mila...
Post a Comment