Tuesday, April 06, 2010

शार्पनर

कागज़ पर कई बार खोलने और बंद करने के कारण आये निशान हैं। तहें लगभग कट चुकी हैं। अन्दर थोड़ा बेतरतीबी से चिपकाया हुआ एक थोड़ा टेढ़ा सा वृत्त है, जैसे फेविकोल लगाते हुए हाथ कांप गए हों। वृत्त की कटावदार किनारी फीके लाल रंग की है जिसपर हलकी काली धारियां दिख रही हैं।
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"तुम्हारे पास शार्पनर टर है क्या?" दो चोटियों वाली एक बेहद मासूम सी लड़की ने थोड़ी सकुचाहट , थोड़ी बेपरवाही से पूछा था। उसके सर हिलाने पर उसने अपनी पेन्सिल बढ़ा दी थी, लड़के ने बड़े जतन से पेंसिल छीली और तीखी नोक बना कर वापस कर दी। उसने पेंसिल के छिलके गिराए नहीं, मुट्ठी में भींच लिए थे। उसे लगा वो कोई चोरी कर रहा है। तेज़ क़दमों से घर पहुंचा था और सबकी नज़रें बचाता हुआ दबे पाँव अपने कमरे में घुसा था। मुश्किल हुयी थी एक हाथ से फेविकोल सटाने में...गोल शायद थोड़ा टेढ़ा लगा था।
हफ़्तों उसे अपनी हथेली से उस   चोटी वाली लड़की की खुशबू आती थी।
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वो अब दो बच्चों का पिता है, ..दो प्यारे प्यारे गोल मटोल, गोरे चिट्टे उसने पेंसिल बनाने का बड़ा सा कारखाना खोल लिया है, एक खूबसूरत से घर में रहता है जिसमें बगीचे में झरने लगे हैं. अक्सर विदेश दौरा भी होता ही रहता है उसका। जब भी कहीं से वापस आता है बच्चों के बहुत कुछ लिए आता है, रंग बिरंगे खिलोने, विडियोगेम , .बहुत कुछ...पर कभी भी इस पूरे ताम झाम में उनके लिए बहुत सारे अलग अलग डिजाईन के 'शार्पनर' लाना नहीं भूलता।
कभी भी नहीं।

23 comments:

सागर said...

बड़े दिल से लिखा है और दिल तक पहुंचा भी है... वैसे भी तुम दिल से ही लिखती हो वरना नहीं लिखती...

तो सुबह सुबह ऐसी भावुक खुशबू लिए लेखनी को सलाम....

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

Puja Upadhyay said...

sagar yar, pencil se likha hai...tumhari kasam

abhi said...

अभी अभी ब्लॉगर में लोगिन किया और बस आपके ब्लॉग के अपडेट्स पे नज़र पड़ गयी..बहुत ही अच्छा लिखी आप..प्यारा सी एक कहानी पेंसिल और शार्पनर की

Shekhar Kumawat said...

BEHAD SUNDAR

BAHUT ACHA LAGA PAD KAR AAP

SHEKHAR KUMAWAT

http://kavyawani.blogspot.com/

विजयप्रकाश said...

सुंदर...भावनात्मक रचना

Amitraghat said...

"छोटी-सी मगर सुन्दर पोस्ट...:

रचना दीक्षित said...

अच्छी लगी ये पोस्ट थोड़े में बहुत कुछ समेटे .

Abhishek Ojha said...

oh !

स्वप्निल तिवारी said...

badi pyaari pyaari baaten hain .......... aana achha laga... :)

दिपाली "आब" said...

sach bahut dil se kahi gayi hain yeh pyaari pyari baatein.. seedha dil se kahi gayi aur dil tak pahuchi.. maasoomiyat se labalab bhari hui..
bahut khoobsurat !!

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

:)

संजय कुमार चौरसिया said...

sabse pahle janm din ki bahut bahut hardik badhai evam shubhkaamnayen

bahut sundar baat likhi aapne

संजय कुमार चौरसिया said...

sabse pahle janm din ki bahut bahut hardik badhai evam shubhkaamnayen

bahut sundar baat likhi aapne

वीरेंद्र सिंह said...

Kitni gahri baat chupi hui hai...

Ab to kahna hi padega ji..Mazaa aa gaya.

commited to life said...

wow.. that was sooo very Cute!!

p.s passing by

Anonymous said...

its entirely a matter of chance, but im so happy i found this blog. bohot bohot accha laga aapko padhkar. i mean, i kno i dont kno u one bit but, ur amazing...really. loved all ur writings.

Anonymous said...

very nice written..
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Unknown said...

yeh khubsurat ehsas hi toh humein jinda rakhtein hai....beautifully expressed!!!!

Anonymous said...

sach bahot hi manbhavak aur achha likha hai aapne. Aapki likhne ki shaili mujhe bahot pasand aayi. Aapko salaam.

Anonymous said...
This comment has been removed by the author.
lovlesh said...

PERFECTLY IMPRESSED AND GLAD WITH YOUR WORDS, YOU HAVE SOMETHING DIFFERENT IN YOUR WORD-COLLECTION.
I WOULD DEFINITELY LOVE, TO READ THE BOOK YOU WRITE, TO WATCH THE MOVIE YOU MAKE.
KEEP IT UP
BEST
Ar.LOVLESH SHARMA

Anmol Sahu said...

इतना अच्छा कैसे लिख लेती हो? कोई ट्रेनिंग की है क्या?