इत्तेफाक ही है कि कल ही ये आर्टिकल आई और आज ही वैलेंटाइन पर इतना बड़ा बवाल सुन रही हूँ...
पहले तो रविश जी को धन्यवाद कि उन्होंने अपने आर्टिकल में मेरा जिक्र किया...रविश जी कहते हैं कि वसंत, वैलेंटाइन और बदमाश एक साथ ही क्यों आते हैं? बिल्कुल वाजिब सवाल है...जवाब देते हुए वो ब्लॉग जगत में बिखरे प्यार के रंगों का जिक्र करते हैं...इसी में मेरा भी जिक्र आया है :)
कल के हिन्दुस्तान दैनिक में छपी इस ख़बर का मुझे पता भी नहीं चलता अगर रोहित ने ब्लॉग पर कमेन्ट में नहीं लिखा होता...यही नहीं इस आर्टिकल का लिंक भी मुझे मेल किया...तो मैं यहाँ रोहित का तहे दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ।
इस ब्लॉग में वाकई सिर्फ़ प्यार के रंगों को बिखेरने का ही मन करता है...कुछ उदास से रंग यादों में घुले हुए। कुछ कल्पनाएँ कि यूँ होता तो क्या होता...कुछ अटके हुए शायद...
जेएनयू के कुछ रास्ते हैं जहाँ मैं खोयी हुयी रह गई हूँ...यहाँ अक्सर मैं उस मैं से मिले हुए पलों को संजोती हूँ...वो मेरी जिंदगी का सबसे खुशनुमा वक्त था...वहां कि यादें कभी मुस्कुराने को कहती है, कभी रुला ही देती हैं...चाहे वो मामू के ढाबे पर कि गुझिया हो...टेफ्ला कि वेज बिरयानी हो या गंगा ढाबा की मिल्क कॉफी। इन सबके बीच कितनी अकेली रातें हैं जिनमें मैं उस मैं के सबसे करीब थी...एक fm रेडियो होता था, पीली पीली रौशनी में भीगी सड़कें....
उफ्फ्फ्फ़ याद आयेंगी तो ठहरने का नाम ही नहीं लेती...चलो आज पार्थसारथी पर ही किस्सा ख़त्म करती हूँ :)
आप वो आर्टिकल पढिये :)
20 comments:
हमारी ऑर से एक क्विंटल बधाइयाँ.
बधाई जी बधाई
हम भी बधाई दे रहे हैं।
thank you.mera naam aaya aapke blog pe? vishwash nahi hota :-)
badhai
जी हमारी ओर से लख लख बधाई स्वीकार करें
Bahut Badhyee jee
wo to hindustan ka lakhon bar shukriya jo is khubsurat blog ka main pathak ban saka . aur laga jaise , apki apni niji yadon ke sath main kab ho liya pata hi na chala.
apke liye composed by me-
aaftab ke mafik roshan rahen aap
baharon ke darmiyan har dam rahen aap
zindagi ki ranai ko qarib se dekhen
taumra yun hi hansti rahen aap
- shahid "ajnabi"
bahut badhiya blog aur lekhan hai.
padh ker laga kahi kho gaya . badhai....
प्यार अगर ज़ाहिर करना ही हो तो उसे अंग्रेज़ों की दी गई तारीख़ पर ही क्यों मनाए कोई अपना ही दिन हो तो क्या बात बने और मुझे तो लगता है कि ये 14 फरवरी वाला दिन तो मनचले ही ज़्यादा मनाते हैं समझदार लोग ऐसे दिनों से बचा करते हैं। पूजा जी इस वैलंटाईन डे पर मैं कुछ कहना नहीं चाहता लेकिन ये तय है कि आपमें प्रतिभा है और वो आपकी रचनाओं के माध्यम से अक्सर छलकती है।
bahut khoob ji .. badhai ho
आपके और आपके पुरे परिवार को होली की बधाई और शुभकामनायें.
धन्यवाद
aapka blog aur aapke khayal dono bahut sunder hai.
Ur writing style is also very nice. My best wishes for ur endeavours.
Neelima
एक चर्चित विषय पर बेहद संतुलित विचार।
नये पोस्ट की प्रतीक्षा है।
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तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
achchhaa likhtii hein aap...
बहु्त खूब, बेहतर लिखती है आप, और आप बहुत भावनात्मक है भाव तो सभी मे एक जैसे होते है बस इन एहसासों की गहरायी में फ़र्क होता है मां पर लिखा हुआ पढा अच्छा है पर कुछ भाव दिल में भी रखने बेहतरहोते है
gm aur bhi hain duniya men muhabbat ke siva.
aajkal kyoun nahi likh rahi hai aap???????????????????????????????????????????????????????????????
bahut hi sunder
htttp://sanjaybhaskar.blogspot.com
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