Thursday, February 05, 2009

पुराने शायदों में...

इत्तेफाक ही है कि कल ही ये आर्टिकल आई और आज ही वैलेंटाइन पर इतना बड़ा बवाल सुन रही हूँ...
पहले तो रविश जी को धन्यवाद कि उन्होंने अपने आर्टिकल में मेरा जिक्र किया...रविश जी कहते हैं कि वसंत, वैलेंटाइन और बदमाश एक साथ ही क्यों आते हैं? बिल्कुल वाजिब सवाल है...जवाब देते हुए वो ब्लॉग जगत में बिखरे प्यार के रंगों का जिक्र करते हैं...इसी में मेरा भी जिक्र आया है :)

कल के हिन्दुस्तान दैनिक में छपी इस ख़बर का मुझे पता भी नहीं चलता अगर रोहित ने ब्लॉग पर कमेन्ट में नहीं लिखा होता...यही नहीं इस आर्टिकल का लिंक भी मुझे मेल किया...तो मैं यहाँ रोहित का तहे दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ।

इस ब्लॉग में वाकई सिर्फ़ प्यार के रंगों को बिखेरने का ही मन करता है...कुछ उदास से रंग यादों में घुले हुए। कुछ कल्पनाएँ कि यूँ होता तो क्या होता...कुछ अटके हुए शायद...

जेएनयू के कुछ रास्ते हैं जहाँ मैं खोयी हुयी रह गई हूँ...यहाँ अक्सर मैं उस मैं से मिले हुए पलों को संजोती हूँ...वो मेरी जिंदगी का सबसे खुशनुमा वक्त था...वहां कि यादें कभी मुस्कुराने को कहती है, कभी रुला ही देती हैं...चाहे वो मामू के ढाबे पर कि गुझिया हो...टेफ्ला कि वेज बिरयानी हो या गंगा ढाबा की मिल्क कॉफी। इन सबके बीच कितनी अकेली रातें हैं जिनमें मैं उस मैं के सबसे करीब थी...एक fm रेडियो होता था, पीली पीली रौशनी में भीगी सड़कें....

उफ्फ्फ्फ़ याद आयेंगी तो ठहरने का नाम ही नहीं लेती...चलो आज पार्थसारथी पर ही किस्सा ख़त्म करती हूँ :)

आप वो आर्टिकल पढिये :)

20 comments:

P.N. Subramanian said...

हमारी ऑर से एक क्विंटल बधाइयाँ.

कुश said...

बधाई जी बधाई

Anil Pusadkar said...

हम भी बधाई दे रहे हैं।

travel30 said...

thank you.mera naam aaya aapke blog pe? vishwash nahi hota :-)

ambrish kumar said...

badhai

Ashish Maharishi said...

जी हमारी ओर से लख लख बधाई स्वीकार करें

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

Bahut Badhyee jee

Shahid Ajnabi said...

wo to hindustan ka lakhon bar shukriya jo is khubsurat blog ka main pathak ban saka . aur laga jaise , apki apni niji yadon ke sath main kab ho liya pata hi na chala.
apke liye composed by me-
aaftab ke mafik roshan rahen aap
baharon ke darmiyan har dam rahen aap
zindagi ki ranai ko qarib se dekhen
taumra yun hi hansti rahen aap
- shahid "ajnabi"

Bahadur Patel said...

bahut badhiya blog aur lekhan hai.

mark rai said...

padh ker laga kahi kho gaya . badhai....

Prakash Badal said...

प्यार अगर ज़ाहिर करना ही हो तो उसे अंग्रेज़ों की दी गई तारीख़ पर ही क्यों मनाए कोई अपना ही दिन हो तो क्या बात बने और मुझे तो लगता है कि ये 14 फरवरी वाला दिन तो मनचले ही ज़्यादा मनाते हैं समझदार लोग ऐसे दिनों से बचा करते हैं। पूजा जी इस वैलंटाईन डे पर मैं कुछ कहना नहीं चाहता लेकिन ये तय है कि आपमें प्रतिभा है और वो आपकी रचनाओं के माध्यम से अक्सर छलकती है।

केतन said...

bahut khoob ji .. badhai ho

अविनाश said...

आपके और आपके पुरे परिवार को होली की बधाई और शुभकामनायें.

धन्यवाद

Neelima G said...

aapka blog aur aapke khayal dono bahut sunder hai.

Ur writing style is also very nice. My best wishes for ur endeavours.

Neelima

Science Bloggers Association said...

एक चर्चित विषय पर बेहद संतुलित विचार।
नये पोस्‍ट की प्रतीक्षा है।

-----------
तस्‍लीम
साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

Pramod Kumar Kush 'tanha' said...

achchhaa likhtii hein aap...

Dudhwa Live said...

बहु्त खूब, बेहतर लिखती है आप, और आप बहुत भावनात्मक है भाव तो सभी मे एक जैसे होते है बस इन एहसासों की गहरायी में फ़र्क होता है मां पर लिखा हुआ पढा अच्छा है पर कुछ भाव दिल में भी रखने बेहतरहोते है

दिव्य नर्मदा divya narmada said...

gm aur bhi hain duniya men muhabbat ke siva.

ajay saxena said...

aajkal kyoun nahi likh rahi hai aap???????????????????????????????????????????????????????????????

संजय भास्‍कर said...

bahut hi sunder


htttp://sanjaybhaskar.blogspot.com